Kitaab
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Lyrics
उस नई किताब के पन्नों सा तू लगता ना है पढ़ी, महक रही हो पर नज़रों से गुज़रा तू चल के मेरे आहिस्ता आँखों ने ना रख दी हो कुछ कसर दो जहाँ की ये बातें, हैं ज़रूरी भी रातें पर समझाने को वक़्त ना यहाँ ♪ क्या है ऐसा तेरा किनारे पे? क्यूँ रहती हैं आके लहरें वहाँ? प्यार की जब करता हूँ मैं बातें बालों के इतराने पे रुकता समाँ दो जहाँ की ये बातें, हैं ज़रूरी भी रातें पर समझाने को वक़्त ना यहाँ
Audio Features
Song Details
- Duration
- 02:28
- Key
- 4
- Tempo
- 170 BPM