Mrityu
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Lyrics
राज़ बांटे मुहँ पे ताले, चुप्पी साधे चेहरे काले जूठ बोले ज़हर खाले, मुस्कुराते धंधे वाले खेलते हैं पास सारे, नामुराद सपने पाले होठ इनके हिलते जा रहे, खोलते हैं राज़ सारे मुझ से सारे दूर भागे, नाम मेरा लेते हारे सपने इनके टूटे वाह रे मौत इनके दर पे हारे सर्वनाश धड़ भी काटे सीधे लेटे अग्नि ला दे (मृत्यु) यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् आगे चलते कदम रुकते मेरे, देखु मैं क्या? भीड़ छोड़ आ गया, ये आसमान मैं तैरा खबर ना कोई कहां तुने ये ज़िस्म छोड़ा मौत पीछे छोड़, बिन शरीर वास करना मस्तिष्क मेरा भागे, मेरा उस पे बस ना देख, बुज़दिलो को बस यही विचार करना कान भरते भरते फिर सुबाह से शाम करना हाँ, फिर सुबाह से शाम करना राज़ बांटे मुहँ पे ताले, चुप्पी साधे चेहरे काले जूठ बोले ज़हर खाले, मुस्कुराते धंधे वाले खेलते हैं पास सारे, नामुराद सपने पाले होठ इनके हिलते जा रहे, खोलते हैं राज़ सारे मुझ से सारे दूर भागे, नाम मेरा लेते हारे सपने इनके टूटे वाह रे मौत इनके दर पे हारे सर्वनाश धड़ भी काटे सीधे लेटे अग्नि ला दे मृत्यु ♪ यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् (लेकिन क्या करे?) (क्या मृत्यु से छुटकारा संभव हैं?) (रामनाथ, मृत्यु से तो छुटकारा संभव नहीं) (लेकिन ये तुमसे कहा किसने की तुम मरोगे?) जो मरता हैं वो तुम नहीं हो, कोई और हैं
Audio Features
Song Details
- Duration
- 03:03
- Key
- 3
- Tempo
- 100 BPM