Gulmohar
6
views
Lyrics
शाम की धूप में, गुलमोहर की छाँव में यादों की महफ़िल जमी ज़िक्र था तेरा और थोड़ी सी फ़िक्र मेरी दूर नज़र में, उन छोटे से टीलों पे ख़्वाबों की काई जमी तुम ही थे फिसले और हम भी थे बिख़रे वहाँ फ़िर उसी स्याही से लिखते हम बातें वही ♪ छज्जों के जालों में, उन मिट्टी के यारों में हम ख़ुद को यूँ छोड़ चले गूँजते अब भी वहाँ तेरे और मेरे निशाँ दूर नज़र में, उन छोटे से टीलों पे ख़्वाबों की काई जमी तुम ही थे फिसले और हम भी थे बिख़रे वहाँ अब लाखों की भीड़ में रातों की नींदें कहाँ फ़िर उसी स्याही से लिखते हम बातें वही शाम की धूप में, गुलमोहर की छाँव में यादों की महफ़िल जमी ज़िक्र था तेरा और थोड़ी सी फ़िक्र मेरी दूर नज़र में, उन छोटे से टीलों पे ख़्वाबों की काई जमी तुम ही थे फिसले और हम भी थे बिख़रे वहाँ फ़िर उसी स्याही से लिखते हम बातें वही ♪ छज्जों के जालों में, उन मिट्टी के यारों में हम ख़ुद को यूँ छोड़ चले गूँजते अब भी वहाँ तेरे और मेरे निशाँ दूर नज़र में, उन छोटे से टीलों पे ख़्वाबों की काई जमी तुम ही थे फिसले और हम भी थे बिख़रे वहाँ अब लाखों की भीड़ में रातों की नींदें कहाँ फ़िर उसी स्याही से लिखते हम बातें वही
Audio Features
Song Details
- Duration
- 03:57
- Tempo
- 121 BPM