Zindagi (feat. Shilpa Rao) - Reprise
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Lyrics
इन कागजी टुकड़ो के पीछे हर शै मख़लूक़ को बरबाद किया ऊँचाईयो कि चाहत में मैंने कुछ सही कुछ गलतियों को अंजाम दिया कुछ कर गुजर जाने के लिए खुद को ही खुद से बदनाम किया अपनी ख़ुशी के खातिर कितनी खुशियों को बेबाक किया ज़िंदगी का ये माजरा क्या है? बंदगी का ये सिलसिला क्या है? ज़िंदगी का ये माजरा क्या है? इन्सान है हम इन्सान थे वह भी जिनके अश्कों को बहने दिया क्यों शोर बरपाया है सुकून में कैसा ये तुमने माहौल किया ये गंगा तीरथ क्या है जब मैले से मन को ना साफ़ किया झूठी तौबा से अच्छा काफ़िर है जिसने कुफ्र कहा ज़िंदगी का ये माजरा क्या है? बंदगी का ये सिलसिला क्या है? ज़िंदगी का ये माजरा क्या है? बंदगी का ये सिलसिला क्या है? ♪ कोई तो मिले, इतना बता दे मुझको कोई तो सही रस्ता दिखा दे अरसा हुआ भटके हुए है मुझको इस राह पे लौ कोई जलादे ज़िंदगी का ये माजरा क्या है? बंदगी का ये सिलसिला क्या है? ज़िंदगी का ये माजरा क्या है? बंदगी का ये सिलसिला क्या है?
Audio Features
Song Details
- Duration
- 06:47
- Key
- 7
- Tempo
- 160 BPM