Saawan

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Lyrics

बहर की झोली से
 बूंद चुराए नूर
 बादल के अंग से
 सावन आए रे
 कैसे मैं रहूँ
 बिन गाए
 ये सरसराती टिपटिपाती
 महफिलों में
 मेघ जो मल्हार
 के गीत सुनाए तो
 बूंदों की आहट से
 योवन आए रे
 कैसे मैं रहूँ
 बिन गाए
 ये सरसराती टिपटिपाती
 महफिलों में
 सावन आए रे
 मेघ छाए रे
 भीगे आंगन मे...
 देखो कारे बदरा
 चमके दमके बिजलियाॅ
 ये घना आसमां
 भीगा ये समा
 सावन आए रे
 मेघ छाए रे
 भीगे आंगन मे
 कैसे मैं रहूँ
 बिन गाए
 ये सरसराती टिपटिपाती
 महफिलों में
 सावन आए रे
 मेघ छाए रे
 भीगे आंगन मे...

Audio Features

Song Details

Duration
03:51
Key
11
Tempo
82 BPM

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