Pari Re Tu - From "Udhar Ka Sindur"

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Lyrics

परी रे, तू...
 परी रे, तू कहाँ की परी, धरती पे आई कैसे?
 परी रे, तू कहाँ की परी, धरती पे आई कैसे?
 कैसे कहूँ, लगन तेरी यहाँ मुझे लाई कैसे
 कि जान-ए-जाँ बँधी चली आई कैसे
 ♪
 जन्नत से आई, पिया, मैं तुझे लेने
 शुक्रिया जी, यहाँ मैं हूँ मज़े में
 दुनिया हमारी है सितारों की दुनिया
 मेरी भी दुनिया बहारों की दुनिया
 रानी गगन की कहती है, "आजा"
 मैं भी हूँ अपनी धरती का राजा
 रानी गगन की कहती है, "आजा"
 मैं भी हूँ अपनी धरती का राजा
 ऐ, नादाँ है, तू क्या जाने
 आ, मेरे संग दीवाने
 दिखलाऊँ अपना जहाँ
 परी रे, तू कहाँ की परी, धरती पे आई कैसे?
 कैसे कहूँ, लगन तेरी यहाँ मुझे लाई कैसे
 कि जान-ए-जाँ बँधी चली आई कैसे
 ♪
 मेरे जहाँ में हीरे-मोती के महल हैं
 मेरे जहाँ में भी तो यारों के दिल हैं
 मस्ती में डूबी हवा मेरे चमन में
 मेहनत की ख़ुशबू यहाँ की पवन में
 अपनी ज़मीं है जन्नत हमारी
 ठुकराओ ना यूँ चाहत हमारी
 अपनी ज़मीं है जन्नत हमारी
 ठुकराओ ना यूँ चाहत हमारी
 ना कर ऐसी नादानी
 सुन, ओ, परियों की रानी
 तू कहाँ और मैं कहाँ
 कैसे कहूँ, लगन तेरी यहाँ मुझे लाई कैसे
 परी रे, तू कहाँ की परी, धरती पे आई कैसे?
 कि बोलो जी, छबि दिखलाई कैसे?
 

Audio Features

Song Details

Duration
05:28
Key
7
Tempo
92 BPM

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