Zindagi
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Lyrics
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, क्या कमी रह गई? आँख की कोर में... आँख की कोर में क्यूँ नमी रह गई? ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, क्या कमी रह गई? आँख की कोर में क्यूँ नमी रह गई? तू कहाँ खो गई? तू कहाँ खो गई? कोई आया नहीं दोपहर हो गई, कोई आया नहीं ज़िन्दगी, ज़िन्दगी... ♪ दिन आएँ, दिन जाएँ, सदियाँ भी गिन आएँ, सदियाँ रे तनहाई लिपटी हैं, लिपटी हैं साँसों की रसियाँ रे तेरे बिना बड़ी प्यासी है, तेरे बिना है प्यासी रे नैनों की दो सखियाँ रे, तनहा रे, मैं तनहा रे ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, क्या कमी रह गई? आँख की कोर में क्यूँ नमी रह गई? ज़िन्दगी, ज़िन्दगी... ♪ सुबह का कोहरा है, शाम की धूल है, तनहाई है रात भी ज़र्द है, दर्द ही दर्द हैं, रुसवाई है कैसे कटे साँसें उलझी है? रातें बड़ी झुलसी-झुलसी हैं नैना कोरी सदियाँ रे, तनहा रे, मैं तनहा रे ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, क्या कमी रह गई? आँख की कोर में क्यूँ नमी रह गई? ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, क्या कमी रह गई? आँख की कोर में क्यूँ नमी रह गई? तू कहाँ खो गई? कोई आया नहीं दोपहर हो गई, कोई आया नहीं ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, क्या कमी रह गई? आँख की कोर में क्यूँ नमी रह गई?
Audio Features
Song Details
- Duration
- 05:09
- Key
- 9
- Tempo
- 120 BPM