Roz Roz

6 views

Lyrics

कभी-कभी लागे रहा अनसुना
 जो भी मन में लागे कहा-अनकहा
 कभी-कभी लागे रहा अनसुना
 जो भी मन में लागे कहा-अनकहा
 किनारे, किनारे पे रह गई नैया रे
 सवालों भरे हों ये सारे नज़ारे
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 हाँ, ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 ♪
 जिया जो ये मेरा ढूँढे लम्हें सारे
 जहाँ तू था मेरा वहाँ अब धुआँ रे
 पुकारे फिरे है तुझे दिल मेरा रे
 सँवारे, सँवारे, भीगी ये अखियाँ रे
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 हाँ, ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 सारे जहाँ रे, हुए जो हमारे
 मिले हैं वहीं पे, जहाँ दिल मिला रे
 
 कभी-कभी लागे रहा अनसुना
 जो भी मन में लागे कहा-अनकहा
 कभी-कभी लागे रहा अनसुना
 जो भी मन में लागे कहा-अनकहा
 किनारे, किनारे पे रह गई नैया रे
 सवालों भरे हों ये सारे नज़ारे
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 हाँ, ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 ♪
 जिया जो ये मेरा ढूँढे लम्हें सारे
 जहाँ तू था मेरा वहाँ अब धुआँ रे
 पुकारे फिरे है तुझे दिल मेरा रे
 सँवारे, सँवारे, भीगी ये अखियाँ रे
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 हाँ, ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 सारे जहाँ रे, हुए जो हमारे
 मिले हैं वहीं पे, जहाँ दिल मिला रे
 
 कभी-कभी लागे रहा अनसुना
 जो भी मन में लागे कहा-अनकहा
 कभी-कभी लागे रहा अनसुना
 जो भी मन में लागे कहा-अनकहा
 किनारे, किनारे पे रह गई नैया रे
 सवालों भरे हों ये सारे नज़ारे
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 हाँ, ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 ♪
 जिया जो ये मेरा ढूँढे लम्हें सारे
 जहाँ तू था मेरा वहाँ अब धुआँ रे
 पुकारे फिरे है तुझे दिल मेरा रे
 सँवारे, सँवारे, भीगी ये अखियाँ रे
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 हाँ, ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 सारे जहाँ रे, हुए जो हमारे
 मिले हैं वहीं पे, जहाँ दिल मिला रे
 
 कभी-कभी लागे रहा अनसुना
 जो भी मन में लागे कहा-अनकहा
 कभी-कभी लागे रहा अनसुना
 जो भी मन में लागे कहा-अनकहा
 किनारे, किनारे पे रह गई नैया रे
 सवालों भरे हों ये सारे नज़ारे
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 हाँ, ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 ♪
 जिया जो ये मेरा ढूँढे लम्हें सारे
 जहाँ तू था मेरा वहाँ अब धुआँ रे
 पुकारे फिरे है तुझे दिल मेरा रे
 सँवारे, सँवारे, भीगी ये अखियाँ रे
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 रोज़-रोज़ आते हो, आँखें क्यूँ चुराते हो?
 है मुझे लगे जैसे खुद को ही छुपाते हो
 ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 हाँ, ऐसा क्या भला मन में खल रहा?
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 मन में खल रहा
 सारे जहाँ रे, हुए जो हमारे
 मिले हैं वहीं पे, जहाँ दिल मिला रे
 

Audio Features

Song Details

Duration
03:38
Tempo
100 BPM

Share

More Songs by The Yellow Diary

Albums by The Yellow Diary

Similar Songs