Raahi
1
views
Lyrics
किस अंजान लहर में बेह गया ये दिल! जाने किस शहर में खो गयी मंज़िल! ना जाने, कौन जाने! ♪ ये ज़िन्दगी राही सी काग़ज़ पे बहती स्याही सी ओस पे टहलती एक कश्ती सी बादल में छुपी एक मस्ती सी ♪ किस का क़सूर है? कुछ कह रहा है नसीब क्यूँ कुछ अपने दूर हैं? कुछ अंज़ान हैं करीब ना जाने, कौन जाने! ♪ ये ज़िन्दगी राही सी काग़ज़ पे बहती स्याही सी ओस पे टहलती एक कश्ती सी बादल में छुपी एक मस्ती सी अपने इस शहर में बस एक ही मंज़िल अधूरा सा था जो वो हो गया हांसिल ये ज़िन्दगी राही सी काग़ज़ पे बहती स्याही सी
Audio Features
Song Details
- Duration
- 03:52
- Key
- 6
- Tempo
- 108 BPM