Vaaqif

7 views

Lyrics

उसूलों की जो थी दुनिया, अब है कहाँ, बोलो?
 बातें किताबी जो सुनीं, हमें ना यक़ीं देखो
 गुफ़्तगू इस से मज़हबी पर अब मुझको गुमान
 हूँ वाक़िफ़, ना हूँ नादाँ कोई, ना फ़िक्र-ए-जहाँ
 क्यूँ ना-मंज़ूर, ओ, हुज़ूर, किरदार हैं यहाँ
 इस कहानी का ना मग़रूर
 बेकसूर हूँ, गूँजती है जो दिल की ज़ुबाँ
 कहता कोई, "थी रोशनी जहाँ
 अब है बाक़ी जलता आशियाँ"
 नासमझ, तुझको मुबारक ये गिरता जहान
 है मुनासिब हर अंजाम, वाक़िफ़ हूँ, ना नादान
 ये मंज़र है अलग पर यार हैं कहाँ? पूछूँ मैं यहाँ
 हो महफ़ूज़, बेलगाम, अरमानों में डूबी बेगरज़ उड़ान
 ♪
 उसूलों की जो थी दुनिया, अब है कहाँ, बोलो?
 ये मंज़र है अलग पर यार हैं कहाँ? पूछूँ मैं यहाँ
 हो महफ़ूज़, बेलगाम, अरमानों में डूबी बेगरज़ उड़ान
 

Audio Features

Song Details

Duration
06:20
Key
1
Tempo
117 BPM

Share

More Songs by The Local Train

Albums by The Local Train

Similar Songs