Aaftaab

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Lyrics

ख़ामोश भीड़ में फ़िर हो खड़े गुमशुदा
 मौजूद हो यहाँ या गुम कहीं, किसको पता
 जब लगे हर घड़ी कि अब इस रात की ना है सुबह कोई
 कर यक़ीं, देख तू कि आफ़ताब वो हसीं है छुपा यहीं-कहीं
 चेहरे में तेरे बंद वो कितने सवाल
 पूछते ख़ुशी का पता, बाक़ी अभी इम्तिहाँ
 है अगर राह-गुज़र पर गहरा अँधेरा, माहताब सो चुका
 कर यक़ीं, हमनशीं, कि आफ़ताब वो हसीं है छुपा यहीं-कहीं
 कहीं दूर शोर से एक नया दौर है
 मोहताज़ ना किसी के, ना पूछे कोई तेरा नाम
 खिले जहाँ बस ख़ुशी, फ़लसफ़ा बस यही
 तू कर यक़ीं
 जब लगे हर घड़ी कि अब इस रात की ना है सुबह कोई
 कर यक़ीं, देख तू कि आफ़ताब वो हसीं है छुपा यहीं-कहीं
 कहीं दूर शोर से एक नया दौर है
 मोहताज़ ना किसी के, ना पूछे कोई तेरा नाम
 खिले जहाँ बस ख़ुशी, फ़लसफ़ा बस यही
 तू कर यक़ीं
 

Audio Features

Song Details

Duration
03:53
Key
6
Tempo
107 BPM

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